नवरात्रि चौथे दिन में मां कूष्मांडा की आरती से ही दूर होगी सारी परेशानी :-

चैत्र नवरात्रि का कल चौथा दिन है. इन नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है. इस दिन मां की पूजा-अर्चना और उपासना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है. इसलिए बहुत ही पवित्र मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरुप का ध्यान करके पूजा करनी चाहिए. मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली हैं, जो कि भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होतर उनके दुखों और कष्टों का नाश करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दिनों में उनकी पूजा के बाद ये आरती अवश्य करें. मां प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
मां कूष्मांडा पूजा विधि-
सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।
इसके बाद मां कूष्मांडा को हलवे और दही का भोग लगाएं। आप फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। मां का अधिक से अधिक ध्यान करें।
पूजा के अंत में मां की आरती करें।
देवी कूष्मांडा मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
