
आज है वरुथिनी एकादशी , आज इन उपायों से मिलेगा धन लाभ :-
वरुथिनी एकादशी यानी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत मंगलवार को रखा जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से हर तरह के कष्टों, दोषों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा एकादशी के दिन कुछ उपाय किया जाए तो श्री हरि अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जातकों को मनवांछित फल देते हैं। जानिए वरुथिनी एकादशी के दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।
शुभ मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी 25 अप्रैल, सोमवार की रात 01 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 26 अप्रैल, मंगलवार की रात करीब 12 बजकर 46 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, एकादशी व्रत 26 अप्रैल, मंगलवार के दिन रखना उत्तम होगा.
वरुथिनी एकादशी पर करें ये उपाय
बिजनेस में बढ़ोत्तरी के लिए वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप 11 बार करें- ऊँ नमो भगवते नारायणाय। इस मंत्र का जाप करने से भगवान जल्द प्रसन्न हो जाएंगे।
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर अभिषेक करें। इसके बाद थोड़े जल को बचा लें और फिर पूजा के बाद अपने और घर के सदस्यों के ऊपर छिड़क दें। इससे जीवन में आई हर परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा।
अगर ऑफिस में आपसे किसी न किसी बात पर बहस हो रही है या आपके फिर आपके हिसाब से कुछ नहीं हो रहा है तो भगवान विष्णु के चरणों में पीले रंग के कपड़े में एकाक्षी नारियल बांधकर अर्पित कर दें।। इसके बाद इसे अपने साथ रखें। इससे आपको जल्द लाभ नजर आने लगेगा।
सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए वरुथिनी एकादशी पर तुलसी मां को जल अर्पित करें और जड़ के पास की गीली मिट्टी उठाकर सभी सदस्यों के माथे में लगा लें।
हर तरह के कष्ट से छुटकारा पाने के लिए भगवान विष्णु को पीले फलों के साथ पीली मिठाई से भोग लगाएं और फिर इन्हें प्रसाद के रूप में बांट दें।
घर की आर्थिक स्थिति सही करने के लिए वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। इससे लाभ मिलेगा।
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
यह व्रत बहुत पुण्यदायी होता है. धार्मिक मान्यता है कि ब्राह्मण को दान देने, करोड़ो वर्ष तक ध्यान करने और कन्या दान से मिलने वाले फल से भी बढ़कर है वरुथिनी एकादशी का व्रत. इस व्रत को करने से भगवान मधुसुदन की कृपा होती है. मनुष्य के दुख दूर होते हैं और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
व्रत पूजा विधि
इस दिन व्रत करने वाले मनुष्य को सर्वप्रथम ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिये. दूसरों की बुराई और दुष्ट लोगों की संगत से बचना चाहिए. इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. व्रत से एक दिन पूर्व यानि दशमी को एक ही बार भोजन करना चाहिए.
2. व्रत वाले दिन प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान की पूजा करनी चाहिए.
3. व्रत की अवधि में तेल से बना भोजन, दूसरे का अन्न, शहद, चना, मसूर की दाल, कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए. व्रती को सिर्फ एक ही बार भोजन करना चाहिए.
4. रात्रि में भगवान का स्मरण करते हुए जागरण करें और अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए.
5. व्रत वाले दिन शास्त्र चिंतन और भजन-कीर्तन करना चाहिए और झूठ बोलने व क्रोध करने से बचना चाहिए.
